देहरादून। खाद्य संरक्षा और औषधि नियंत्रण प्रशासन इन दिनों प्रदेश भर में अवैध ड्रग और नकली दवाओं के खिलाफ छापेमार अभियान चला रहा है। विभाग ने इसके तहत पिछले एक साल में 862 प्रतिष्ठानों पर छापेमारी कर सैंपल भी एकत्रित किये। 52 सैंपलों की जांच चल रही है। दो कंपनियों के लाइसेंस को निरस्त करने की कार्रवाई की जा रही है और पांच कंपनियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की सिफारिश की गयी है।
स्वास्थ्य सचिव/आयुक्त खाद्य संरक्षा और औषधि नियंत्रण प्रशासन डा. आर. राजेश कुमार ने कहा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत के निर्देश पर राज्य में अवैध ड्रग और नकली दवाओं के खिलाफ अभियान लगातार जारी है। स्वास्थ्य सचिव/आयुक्त खाद्य संरक्षा और औषधि नियंत्रण प्रशासन डा. आर. राजेश कुमार ने कहा कि नकली या सबस्टैंडर्ड दवाएं बनाने वालों को बख्शा नहीं जाएंगा और उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। डा. आर. राजेश कुमार ने का कहना है कि विभाग नशे की रोकथाम के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है और इस तरह के गैर कानूनी ड्रग बनाने वाली या उत्पाद बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश छापेमारी अभियान लगातार जारी रहेगा।
देहरादून के सहसपुर स्थित लांघा रोड पर स्थित एक फैक्ट्री में नकली दवाएं बनाने की सूचना मिलने पर औषधि विभाग, पुलिस और नारकोेटिक्स टास्क फोर्स ने संयुक्त कार्रवाई की और ग्रीन हर्बल कंपनी के तीन आरोपी गिरफ्तार कर लिये। दो अभी फरार हैं। इस कंपनी को फूड लाइसेंस मिला था लेकिन गैर-कानूनी ढंग से दवाओं का निर्माण कर रहे थे। इन दवाओं का इस्तेमाल नारकोटिक्स एक्ट के तहत किया जाता है। इस दौरान संयुक्त टीम ने फैक्ट्री से 1921 कैप्सूल/टैबलेट, सिरप आदि की 592 बोतलें और 342 खाली रैपर बरामद किए।
औषधि नियंत्रक ताजबर जग्गी के अनुसार सूचना मिली थी कि लांघा रोड पर हर्बल ग्रीन फैक्ट्री में नशे में प्रयोग के लिए दवाओं का निर्माण किया जा रहा है। जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए औषधि विभाग, दून पुलिस और एएनटीएफ की टीम ने छापा मारा। पता चला कि हर्बल ग्रीन फैक्ट्री के पास फूड लाइसेंस है, जो वर्ष 2023 में प्राप्त किया गया था। जिन नारकोटिक्स दवाओं का वहां निर्माण किया जा रहा था, उसका लाइसेंस ही नहीं था। लिहाजा, फैक्ट्री और उसमें किया जा रहा निर्माण फर्जी माना जाएगा। दवाओं को जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) भेजा जा रहा है। जहां उनमें प्रयुक्त सॉल्ट और अन्य तत्वों का परीक्षण किया जाएगा।
फर्जीवाड़े पर कार्रवाई करते हुए संजय कुमार (उम्र 39 वर्ष) निवासी ग्राम मुसकीपुर जिला सहारनपुर (हाल निवासी टीचर कालोनी सहसपुर), शिव कुमार (उम्र 36 वर्ष) हाल निवासी प्रगति विहार सेलाकुई और रहमान (उम्र 38 वर्ष) निवासी ग्राम भूसी जिला चंदौली (हाल निवासी परवल उमेदपुर) को गिरफ्तार किया गया। वहीं, कन्हैया और ऋषभ की तलाश की जा रही है। सभी फैक्ट्री संचालक और पार्टनर की भूमिका में हैं। नारकोटिक्स दवा बनाने के लिए प्रयुक्त उपकरण भी कब्जे में लिए गए हैं। कार्रवाई करने वाली टीम में ड्रग इंस्पेक्टर मानवेंद्र राणा, एफडीए विजिलेंस से जगदीश रतूड़ी, संजय सिंह नेगी समेत स्थानीय पुलिस और एएनटीएफ के कार्मिक शामिल रहे।
ड्रग कंट्रोलर ताजबर जग्गी ने बताया कि उक्त फैक्ट्री में जिन दवाओं का निर्माण फूड लाइसेंस पर चल रहा था, वह साइको ट्रैपिक (मन प्रभावी) हैं और इनका अधिक सेवन व्यक्ति को नशे की हालत में ले आता है। नशे के विकल्प के रूप ऐसी दवाओं का चलन बढ़ रहा है। इस पूरे खेल को उजागर किया जाएगा और दोषियों को सख्त सजा दिलाई जाएगी।
ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी के मुताबिक विभाग नकली दवाओं और फर्जी कंपनियों के खिलाफ लगातार छापेमारी कर रहा है। पिछले एक साल में विभाग ने 862 स्थानों पर छापेमारी की है। कई कंपनियों से जांच के लिए 352 लीगल सैंपल भी लिये गये हैं। अभी 35 उत्पादों की जांच गतिमान है। उन्होंने बताया कि दो कंपनियों के दवा निर्माण लाइसेंस को निरस्त करने की कार्रवाई की जा रही है और 72 कंपनियों के उत्पादों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगाई गयी है।
ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि पांच कंपनियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा रही है। दस कंपनियों के सेल लाइसेंस को निरस्त करने की सिफारिश की गयी है। इसके अलावा 6 कंपनियों के परिसर सील किये गये हैं। उन्होंने बताया कि कुमाऊं में 81 लाइसेंस को सस्पेंड किया गया है और नौ कंपनियों के लाइसेंस निरस्त किये गये हैं। 11 दवा निर्माता कंपनियों के लाइसेंस भी सस्पेंड किये गये हैं।