कार्बेट टाइगर रिजर्व के अंतर्गत कालागढ़ टाइगर रिजर्व वन प्रभाग के पाखरो ब्लाक में टाइगर सफारी के बहुचर्चित प्रकरण में नित नए रहस्य उजागर हो रहे हैं। अब यह बात सामने आई है कि टाइगर सफारी के अंतिम मास्टर ले-आउट प्लान को न तो केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण (सीजेडए) से अनुमोदित कराया गया और न वहां बनने वाले बाघ बाड़ों के विशेष डिजाइन की अनुमति ही ली गई। सीजेडए ने इस संबंध में शासन को पत्र भेजकर जवाब मांगा है।
इसी क्रम में कार्बेट टाइगर रिजर्व के तत्कालीन निदेशक राहुल के साथ ही टाइगर सफारी से जुड़े रहे डीएफओ किशन चंद व अखिलेश तिवारी को नोटिस भेजे गए हैं। मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डा० पराग मधुकर धकाते ने नोटिस भेजे जाने की पुष्टि की। आपको बता दे कि पाखरो में नवंबर 2020 में टाइगर सफारी का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। गत वर्ष यह तब चर्चा में आई, जब वहां बड़ी संख्या में पेड़ों के कटान और अवैध निर्माण का मामला उछला। इस पर राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण ने स्थलीय निरीक्षण कर शिकायत सही पाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की संस्तुति की।
पिछले साल नवंबर महीने में तत्कालीन वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग से यह जिम्मेदारी वापस ले ली गई थी, जबकि कालागढ़ टाइगर रिजर्व के डीएफओ किशन चंद को वन मुख्यालय से संबद्ध किया गया। इसके बाद विभागीय जांच में भी स्पष्ट हुआ कि टाइगर सफारी के लिए मनमाने ढंग से कार्य किए गए। शासन ने हाल में सुहाग व किशन चंद को निलंबित करने के साथ ही कार्बेट के निदेशक राहुल को वन मुख्यालय से संबद्ध कर दिया था। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी ने 29 अप्रैल को वन विभाग के आला अधिकारियों के साथ बैठक में टाइगर सफारी से जुड़े तमाम बिंदुओं पर जानकारी मांगी।
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