उत्तराखंड शिक्षा विभाग में ऐसे शिक्षकों और कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की तैयारी चल रही है जो सेवाएं देने में असमर्थ हैं। दरअसल, शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने शिक्षा विभाग में एक बड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत उन शिक्षकों और कार्मिकों को राहत देने की तैयारी है जो गंभीर बीमारी के चलते सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं, शिक्षा मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि जो शिक्षक गंभीर बीमारी से ग्रस्त है और वह सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं, उनकी सेवाएं 20 साल से अधिक हो गई है तो उनको अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाए।
दरअसल, ऐसा करने से जहां जहां गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को 20 साल की सेवा के बाद अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से उनको पेंशन का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा, तो वही जिन पदों पर वह नियुक्त हैं और अपनी सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं, जिससे कि बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है, उस पद को नई नियुक्ति से भरा जा सकता है, जिससे छात्रों की पढ़ाई को हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सकती है। उत्तराखंड में शिक्षकों के तबादलों के समय धारा 27 के तहत हजारों शिक्षक गंभीर बीमारी से ग्रस्त होने को लेकर अपने तबादले लिए आवेदन करते हैं।
लेकिन उनको तबादले की सौगात गंभीर बीमारी के चलते नहीं मिल पाती है, शिक्षा मंत्री ने जो फार्मूला सुझाया है, वह गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों के लिए भी राहत देने वाला है तो वही जिन शिक्षकों की सेवाएं 20 साल से कम हुई है उनको भी अटैचमेंट या उनके घर के आसपास सेवाएं देने के निर्देश शिक्षा मंत्री ने दिए है। प्रारंभिक शिक्षा निदेशक वंदना गब्र्याल का कहना है कि पहले भी इस तरीके के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन फिर से आदेश जारी किए जा रहे हैं और ऐसे शिक्षकों और कार्मिकों को चिन्हित किया जाएगा जो गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं।
कुल मिलाकर देखें तो शिक्षा मंत्री का यह फार्मूला वास्तव में सराहनीय है, क्योंकि इससे जहां गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने से, वह पेंशन पाकर अपना उपचार और देखभाल ठीक से करा सकते हैं तो वही उनके पद खाली होने से नई नियुक्ति से छात्रों को पढ़ाई में हो रहे नुकसान की भरपाई की जा सकती है ऐसे में देखना ही होगा कि आखिर इतनी जल्दी शिक्षा विभाग इस पर अमल करता है और अनिवार्य सेवानिवृत्ति के फार्मूले को लागू करने गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों और कार्मिकों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाती है।