उत्तराखंड राज्य बने 21 साल का समय बीत गया है। हालांकि, राज्य गठन के 3 साल बाद, साल 2003 में उत्तराखंड रोडवेज का गठन किया गया। जिसके बाद से अभी तक रोडवेज के चालकों और परिचालकों के लिए वर्दी का प्रावधान तो था लेकिन भत्ता न दिए जाने की वजह से चालक और परिचालक वर्दी नही पहन रहे थे। लेकिन अब 19 साल बाद उत्तराखंड रोडवेज के चालक व परिचालक पहली बार वर्दी में नजर आएंगे। दरअसल, चंडीगढ़ में पिछले हफ्ते हुए उत्तराखंड रोडवेज की बस के चालान के बाद रोडवेज प्रबंधन ने चालक व परिचालकों के लिए वर्दी भत्ता जारी कर दिया है।
इसके साथ ही चालकों के लिए वर्दी का रंग खाकी पैंट व शर्ट जबकि परिचालकों के लिए वर्दी का रंग सिलेटी पैंट व शर्ट निर्धारित किया गया है। वर्दी भत्ता मिलने के 15 दिन के भीतर वर्दी पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। वर्दी न पहनने पर जुर्माने का प्रविधान किया गया है। साल 2003 में उत्तराखंड रोडवेज का गठन हुआ था, लेकिन अब तक एक बार भी चालक-परिचालकों को रोडवेज प्रबंधन ने वर्दी भत्ता नहीं दिया। सेवा नियमावाली में अनिवार्य होने के बावजूद चालक व परिचालक बिना वर्दी ड्यूटी कर रहे हैं। चार साल पहले हाईकोर्ट ने भी रोडवेज प्रबंधन को वर्दी भत्ता देने के आदेश दिए थे, लेकिन इसका अनुपालन नहीं हुआ।
दरअसल, इस मामले को लेकर पिछले हफ्ते चंडीगढ़ में परिवहन विभाग ने उत्तराखंड रोडवेज की एक बस का चालान कर दिया था। क्योकि चालक वर्दी में नहीं था। इसे लेकर रोडवेज प्रबंधन की किरकिरी हुई तो सरकार हरकत में आई। सरकार के आदेश पर प्रबंधन ने चालक व परिचालकों को तीन हजार रुपये सालाना वर्दी भत्ता देने के आदेश दिए। इसी क्रम में रोडवेज महाप्रबंधक दीपक जैन ने सभी मंडल व डिपो प्रबंधकों को आदेश दिया कि सभी नियमित, विशेष श्रेणी और संविदा चालक-परिचालकों को शीघ्र वर्दी भत्ता जारी कर दिया जाए। प्रवर्तन टीमों को मार्गों पर चालक व परिचालकों की वर्दी की जांच के आदेश दिए गए हैं। पहली बार बिना वर्दी पकड़े जाने पर 250 रुपये जुर्माना जबकि लगातार ऐसा करने पर वर्दी भत्ते की रिवकरी कर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।