पुलिस विभाग में ग्रेड पे का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है। पुलिस के परिजनों ने मामले को लेकर मोर्चा खोल दिया है। गौरतलब है कि पुलिस विभाग सख्त अनुशासन विभाग की श्रेणी में आते हैं, इसलिए वह अपनी मांगों को लेकर आंदोलन नहीं करते। पुलिस कर्मियों की मांगों को लेकर परिवारजनों की ओर से आंदोलन करने की परंपरा रही है। जिसके बाद ग्रेड पे मामले में पुलिसकर्मियों के परिजनों के पत्रकार वार्ता करने पर चार सिपाहियों को निलंबित कर दिया गया है।
आपको बता दे कि बीते दिन पुलिसकर्मियों के परिजनों ने सरकार को साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पुलिसकर्मियों का ग्रेड पे 4600 रुपए नहीं किया जाता है और उसका शासनादेश जारी नहीं करती है तो ऐसे में उन्हें एक हफ्ते बाद उग्र आंदोलन करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। पुलिसकर्मियों के परिजनों का कहना है कि सरकार अपनी घोषणाओं को पूरा करने से पीछे हट रही है। उन्होंने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि घोषणा के बावजूद अभी तक पुलिस कर्मियों का ग्रेड पे 4600 रुपए नहीं किया गया है, जिससे पुलिसकर्मियों के परिजनों में भारी आक्रोश है।
जिन चार सिपाहियों को निलंबित किया गया है इनमें एक सिपाही चमोली, एक उत्तरकाशी और दो देहरादून में तैनात हैं। कार्रवाई के विरोध में भी सोमवार को परिजन पुलिस मुख्यालय के बाहर आंदोलन करने के लिए पहुंचे, लेकिन बाद में डीजीपी अशोक कुमार के समझाने के बाद लौट गए। दरअसल, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी 2001 बैच के सिपाहियों को 4,600 ग्रेड पे नहीं मिला है। इसको लेकर कई चरणों में पुलिसकर्मियों के परिजनों ने अफसरों और सरकार के नुमाइंदों से वार्ता की थी, लेकिन इन वार्ताओं का कोई हल नहीं निकला।
इसके बाद रविवार को कुछ पुलिसकर्मियों के परिजन प्रेस क्लब के पास एक रेस्टोरेंट में इकट्ठा हुए और उन्होंने पत्रकार वार्ता की। उन्होंने सरकार पर वादा खिलाफी का इल्जाम लगाया और आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके बाद से पुलिस विभाग में खलबली मच गई। इस पर खुफिया तंत्र भी अलर्ट हो गया और उन सिपाहियों के बारे में पता किया गया। सोमवार को डीजीपी अशोक कुमार के निर्देश पर चमोली पुलिस लाइन में तैनात सिपाही दिनेश चंद, एससीआरबी देहरादून में तैनात सिपाही हरेंद्र सिंह, देहरादून में ही तैनात मनोज बिष्ट और एसडीआरएफ उत्तरकाशी में तैनात कुलदीप भंडारी को निलंबित कर दिया गया है। इसके बाद सभी को चेतावनी भी जारी की गई है। इस साल कुछ इस्तीफे वायरल करने पर भी सिपाहियों पर कार्रवाइयां हुई थीं।
वहीं, इस पूरे मामले पर डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि पुलिस एक अनुशासित बल है लिहाजा किसी भी तरह की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। क्योंकि कुछ सिपाहियों के परिजनों द्वारा प्रेस वार्ता की गई है वो पुलिस सेवा नियमावली का उल्लंघन करना है। उसके कारण इस तरह की कार्रवाई की गई है ऐसे में सभी पुलिसकर्मियों से अनुरोध है कि वह अनुशासनहीनता का उल्लंघन किए बिना ही अपनी बात को रखें अन्यथा अनुशासनहीनता करने पर कार्रवाई की जाएगी।