प्रदेश में बंदरों से खेती को नुकसान वाले क्षेत्रों के लोगों के लिए थोड़ी राहत की बात है। राज्य में पिछले छह साल में बंदरों की संख्या बढ़ने के बजाय कम हुई है। वर्ष 2015 की तुलना में वर्ष 2021 में 24 प्रतिशत बंदर कम हुए हैं जबकि लंगूर 31 प्रतिशत से कम हुए हैं।
वन विभाग की ओर से जारी राज्य में बंदर और लंगूर की साल 2015 और 2021 में हुई गणना के तुलनात्मक आंकड़े जारी किए। रिपोर्ट में बताया गया कि प्रदेश में दिसंबर 2021 में राज्य में बंदरों और लंगूरों की गणना की गई। 31 वन प्रभागों की 1950 बीटों में 1780 वन कर्मचारियों को इस काम में लगाया गया था।
भारतीय वन्य जीव संस्थान के तकनीकी सहयोग से की गई गणना में एक लाख दस हजार से अधिक बंदर और 37 हजार से अधिक लंगूर पाए गए, जबकि साल 2015 में बंदरों की संख्या एक लाख 46 हजार से अधिक थी। लंगूरों की संख्या वर्ष 2015 में 54804 थी जो वर्ष 2021 में घटकर 37735, रह गई है। वन मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि प्रदेश में बंदरों और लंगूरों के बंध्याकरण की योजना चलाई गई है। यही वजह है कि इनकी तेजी से बढ़ती संख्या पर रोक लगी है।