रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी रुड़की) ने एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम के तहत शिक्षा मंत्रालय की प्रमुख पहल, युवा संगम के पांचवें संस्करण का उद्घाटन किया। यह राष्ट्रव्यापी पहल भारत के युवाओं में अंतर-सांस्कृतिक आदान-प्रदान, नेतृत्व और राष्ट्रीय एकीकरण को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई है। युवा संगम-5 में झारखंड के 45 छात्र प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिन्हें आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के संकाय समन्वयकों का समर्थन प्राप्त था। आईआईटी रुड़की ने झारखंड के 45 छात्र प्रतिनिधियों और आईआईटी (आईएसएम) धनबाद के संकाय समन्वयकों का गर्मजोशी से स्वागत किया व परिवर्तनकारी युवा संगम पहल के रूप में उनके आगमन का उत्सव मनाया।
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि प्रो. यू.पी. सिंह के आगमन से हुई, जिसके बाद औपचारिक दीप प्रज्ज्वलन और आईआईटी रुड़की के कुलगीत ने सद्भाव एवं उत्सव का वातावरण तैयार किया। युवा संगम-5 के नोडल अधिकारी प्रो. एम.वी. सुनील कृष्ण ने कार्यक्रम के उद्देश्यों और नियोजित गतिविधियों पर एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें इस तरह के सांस्कृतिक जुड़ाव की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया गया।
कार्यक्रम के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, छात्र कल्याण कुलशासक प्रो. बार्जीव त्यागी ने कहा, “युवा संगम युवाओं के लिए एकता के बंधन को मजबूत करते हुए भारत की सांस्कृतिक विविधता का अनुभव करने और उसकी सराहना करने का एक उल्लेखनीय अवसर है। इस तरह की पहल आपसी सम्मान उत्पन्न करती है और छात्रों को राष्ट्र की प्रगति के लिए सामूहिक रूप से कार्य करने के लिए प्रेरित करती है।”
अपने उद्घाटन भाषण में मुख्य अतिथि प्रो. यू.पी. सिंह ने इस तरह की पहल की अगुआई करने के लिए शिक्षा मंत्रालय की सराहना की। उन्होंने कहा, “युवा संगम एक भारत श्रेष्ठ भारत के सच्चे सार को दर्शाता है। राज्यों के युवाओं को जोड़ने से सहयोग, नवाचार और हमारे देश की सांस्कृतिक समृद्धि के प्रति गहरी समझ विकसित होती है।”
प्रतिभागी हरिद्वार, ऋषिकेश, कोटद्वार, लैंसडाउन और देहरादून जैसे स्थलों की यात्रा के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का पता लगाएंगे। महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत करने के लिए स्थानीय गांव का दौरा करने से छात्रों को जमीनी स्तर पर विकास एवं ग्रामीण आजीविका के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिलेगी। इसके अतिरिक्त, झारखंड का प्रतिनिधिमंडल अपने राज्य की समृद्ध परंपराओं को उजागर करते हुए जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शन प्रस्तुत करेगा। उद्घाटन का समापन एक समूह फोटोग्राफ और धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिसने प्रतिभागियों को भारत की विविधता में एकता को अपनाने और उसका उत्सव मनाने के लिए प्रेरित किया।
युवा संगम-5 कार्यक्रम प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध यात्रा प्रदान करता है, जिसकी शुरुआत भगवानपुर और सिडकुल के औद्योगिक दौरे से होती है, उसके बाद हरिद्वार और ऋषिकेश में सांस्कृतिक अन्वेषण होता है। स्थानीय गांव का दौरा जमीनी स्तर पर विकास एवं महिला स्वयं सहायता समूहों के साथ बातचीत के बारे में जानकारी प्रदान करेगा। यात्रा कार्यक्रम में लैंसडाउन, कोटद्वार और देहरादून जैसे प्रतिष्ठित स्थानों की यात्राएँ भी शामिल हैं, जिसमें सिद्धबली मंदिर, तारकेश्वर धाम मंदिर आदि जैसे स्थल शामिल हैं। प्रत्येक गतिविधि सांस्कृतिक, शैक्षिक और नेतृत्व के अनुभवों को जोड़ती है, जो उत्तराखंड की विरासत की गहरी समझ को बढ़ावा देती है।
शिक्षा मंत्रालय की एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल के तहत आईआईटी रुड़की द्वारा आयोजित युवा संगम-5 कार्यक्रम सांस्कृतिक आदान-प्रदान के परिवर्तनकारी प्रभाव का उदाहरण है। यह कार्यक्रम राज्यों को जोड़कर और युवाओं को विविध परंपराओं एवं समुदायों से जुड़ने में सक्षम बनाकर राष्ट्रीय एकता और अखंडता के धागों को मजबूत करता है। इस तरह की पहल प्रतिभागियों को भारत की समृद्ध विविधता को अपनाने के लिए प्रेरित करती है, देश के भविष्य के लिए एक साझा दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है और साथ ही युवा दिमागों में नेतृत्व और सहयोगी कौशल का पोषण करती है। आईआईटी रुड़की ऐसे प्रयासों का समर्थन करने और उन्हें बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो एक समावेशी और परस्पर जुड़े भारत को आकार देने में अपनी भूमिका को मजबूत करता है।
शिक्षा मंत्रालय की एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल सांस्कृतिक अंतर को पाटने और राज्यों के बीच संबंधों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण रही है। युवा संगम जैसे कार्यक्रम अंतर-राज्यीय सहयोग को बढ़ावा देते हैं और युवा दिमागों को राष्ट्रीय एकीकरण प्रयासों में सार्थक योगदान देने में सक्षम बनाते हैं। आईआईटी रुड़की को इस परिवर्तनकारी प्रयास का हिस्सा बनने पर गर्व है।
युवा संगम एक अनूठा कार्यक्रम है जो भारत के विभिन्न राज्यों के छात्रों के बीच अंतर-सांस्कृतिक बातचीत की सुविधा प्रदान करता है। एक भारत श्रेष्ठ भारत पहल के तहत आयोजित इस कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं में एकता, सांस्कृतिक गौरव और नेतृत्व को बढ़ावा देना है, साथ ही उन्हें भारतीय परंपराओं की विविधता और जीवंतता का पता लगाने में सक्षम बनाना है।