भारत में सरकारी नौकरी करने वाले को “सरकारी दामाद” कहते हैं, ऐसा इसलिए भी कहा जाता है कि सरकारी नौकर काम करने की बजाय ज्यादातर मुफ्त की रोटियां तोड़ता है, और सरकारी खर्चे में खूब ऐशोआराम की जिंदगी बशर करता है। कुछ ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है रुड़की के सरकारी अस्पताल का, जहा करीब दो साल पहले छुट्टी पर गए तीन चिकित्सक अभी तक ड्यूटी पर वापस नही लौटे, बिडम्बना देखिये अस्पताल पहले से ही डॉक्टरों की कमी से झूज रहा था, ऊपर से तीन डॉक्टर सालों से ड्यूटी से नदारत सरकारी खर्चे पर पल रहे है।
बता दें कि, रुड़की के सिविल अस्पताल के दो डॉक्टरों की ड्यूटी कोविड के दौरान यात्रा सीजन में लगी थी, लेकिन दोनों डॉक्टर वहां भी नही पहुँचे और अस्पताल में ज्वाईनिंग भी नही की, वही एक महिला डॉक्टर दो दिन की छुट्टी का बहाना लेकर गई थीं। वो आजतक लौटकर वापस नही आई, अस्पताल प्रबंधन ने इन लापता डॉक्टरों को कई बार नोटिस भी भेजा है लेकिन आजतक कोई जवाब नही आया।
मामले में अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर संजय कंसल का कहना है कि जो डॉक्टर अपसेन्ट होते हैं उन्हें सरकारी नियम के तहत नोटिस जारी किया जाता है, लेकिन इसके वाबजूद भी यदि कोई प्रजेंट नही होता है उनकी सेवाएं समाप्त की प्रकिया के तहत उच्चाधिकारियों को पत्र प्रेषित किया जाता है, उन्होंने बताया कि अस्पताल के जो डॉक्टर सालों से ड्यूटी पर नही लौटे है उनके आवास पर नोटिस भेजा जा चुका है।