उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड राज्य में मदरसों के सर्वे के ऐलान के बाद अब उत्तराखंड वन विभाग ने भी कमर कस ली है। वन विभाग की जमीनों पर बने मजारों को हटाए जाने को लेकर वन मुख्यालय ने वन संरक्षक गढ़वाल और कुमाऊं को चिन्हीकरण के आदेश दे दिए हैं। दरअसल, लंबे समय से वन विभाग को शिकायत मिल रही थी कि वन विभाग की भूमि पर तेजी से धार्मिक स्थलों का निर्माण कार्य किया जा रहा है। जिसको देखते हुए उत्तराखंड के प्रमुख वन संरक्षक ने प्रदेश के दोनों रीजन के मुख्य वन संरक्षकों को वन भूमि पर बने धार्मिक स्थलों के चिन्ह करण के आदेश दिए हैं।
विभाग के अधिकारी वन विभाग की भूमि पर अवैध रूप से बने मजारों और धार्मिक स्थलों के चिन्हीकरण की कारवाई में जुट गए हैं। साथ ही वन भूमि पर बनी मजारों और अन्य धार्मिक स्थलों के बारे में वन विभाग, जानकारी जुटा रहा है कि कितने समय से ये धार्मिक स्थल बने है। चिन्हीकरण की कार्यवाही संपन्न होने के बाद वन विभाग, वन भूमि पर अवैध रूप से बनी मजारों और धार्मिक स्थलों को हटाने की कार्यवाही करेंगा। मिली जानकारी के अनुसार वन विभाग की जमीनों पर करीब 100 से ज्यादा धार्मिक स्थल बने हुए है।
वही, प्रमुख वन संरक्षक विनोद कुमार सिंघल ने कहा कि अभी फिलहाल अधिकारियों को निर्देश दिए गए है कि वन भूमि पर बने मजार और धार्मिक स्थलों के चिन्हीकरण के निर्देश दिए गए हैं और इस बात पर फोकस किया जा रहा है कि धर्म की आड़ में वन भूमि पर अतिक्रमण ना हो। साथ ही कहा कि वन भूमि पर अवैध रूप से बने मजारों और धार्मिक स्थलों की रिपोर्ट आने के बाद राज्य सरकार की ओर से निर्णय लिया जाएगा कि आगे क्या कार्यवाही की जानी है।