उत्तराखंड राज्य में वन जीव संघर्ष, राज्य सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में आए दिन वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आ रहे हैं जिसको देखते हुए अब उत्तराखंड सरकार ने तमाम महत्वपूर्ण निर्णय है। जिसके तहत प्रदेश के हर जिले में रेस्क्यू सेंटर खोलने के साथ ही लोगों की सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग की व्यवस्था और लोगों को अलर्ट करने के लिए सेंसर बोर्ड अलर्ट सिस्टम लगाकर सुरक्षा तंत्र को विकसित करने का निर्णय लिया गया है। हालांकि, इन सभी योजनाओं को धरातल पर उतरने के लिए अगले दो हफ्ते के भीतर रणनीति तैयार की जाएगी।
वही, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि इन दोनों मानव वन्य जीव संघर्ष, राज्य सरकार के लिए चुनौती बनकर सामने आई है। प्रदेश के तमाम क्षेत्रों में वन्य जीवों यानी हाथी, नीलगाय, गुलदार, भालू, बंदर की ओर से लोगों पर हमले किए गए हैं साथ ही खेती और अन्य स्थापना सुविधाओं को नुकसान भी पहुंचता है। ऐसे में उत्तराखंड राज्य के उन क्षेत्रों में जहां पर मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आ रहे हैं, उन क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग की व्यवस्था की जाएगी, साथ ही लोगों को अलर्ट करने के लिए सेंसर बोर्ड अलर्ट सिस्टम लगाकर सुरक्षा तंत्र को विकसित किया जाएगा। ताकि मानव वन्य जीव संघर्ष को काम किया जा सके।
साथ ही कहा कि जो वन्य जीव यानी लंगूर, बंदर, सूअर, भालू समेत और वन्य जीवों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए हर जिले में आधुनिक नशबंदी केंद्र की स्थापना की जाएगी। इसके लिए वन विभाग की ओर से सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल की जाएगी। इसके साथ ही प्रदेश के उन सभी जिलों जहां मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आ रहे हैं वहां पर चिन्हित वन्य जीवों के रेस्क्यू और रिहैबिलिटेशन के लिए वन विभाग के नियंत्रण में केंद्र खोले जाएंगे। रामनगर में टाइगर और गुलदार के लिए रेस्क्यू सेंटर मौजूद है जहां करीब 25 टाइगर और गुलदार रेस्क्यू किए गए हैं इसी तरह ही भालू समेत अन्य वन्य जीवों के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाए जाएंगे।
पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम 10 नाली और मैदानी क्षेत्रों में एक एकड़ भूमि आरक्षित की जाएगी। वर्तमान समय में राज्य के लिए यह एक गंभीर विषय बन गया है क्योंकि इसकी वजह से आम जनजीवन को काफी अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह है कि इस मामले को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए दो हफ्ते के भीतर इन योजनाओं को लागू करने के लिए रणनीति तैयार की जाएगी। साथ ही सीएम ने कहा कि इसके लिए वन विभाग को जाल, पिजड़ा, ट्रेंकुलाइज समेत और जरूरी सुविधाओं के लिए अतिरिक्त 5 करोड रुपए दिए जाएंगे।
इसके साथ ही मानव वन्य जीव संघर्ष को प्रभावी तरीके से रोकने के लिए वन्य जीव अधिनियम के सुसंगत प्रावधानों के तहत हिंसक जीवों को निषेध करने और उनके अधिकारों को विकेंद्रीकरण करते हुए वन विभाग के रेंजर स्तर के अधिकारियों को और सशक्त बनाया जाएगा। इसके लिए नियमों में संशोधन करने की जरूरत होगी तो वो किया जाएगा। सीएम धामी ने कहा कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से भी उन्होंने बातचीत की है, ताकि देशकाल स्थिति के अनुसार जो भी संशोधन करना होगा उसके लिए अनुरोध किया जाएगा।

