उत्तराखंड के केदारघाटी में एक बार फिर बर्फीली तूफान आया है। मिली जानकारी के अनुसार, आज सुबह 6:42 बजे के लगभग केदारनाथ की पहाड़ियों पर श्रद्धालुओं को बर्फीला तूफान देखने को मिला। केदारनाथ मंदिर से करीब 5 किलोमीटर ऊपर पर्वतीय क्षेत्र में आया बर्फीला तूफान देख केदारनाथ धाम के दर्शन करने गए श्रद्धालू भयभीत हो गए। दरअसल, चंद दिनों के अंदर ही यह केदारनाथ की पहाड़ियों पर तीसरी बर्फीला तूफान है जानकारी के अनुसार अभी तक किसी भी नुकसान की कोई खबर नहीं है।
आपको बता दे कि केदारघाटी से करीब 5 किलोमीटर ऊपर 6,500 फीट ऊंचाई पर आज तीसरी बार बर्फीली तूफान देखा गया है। दरअसल, पहला बर्फीली तूफान 22 सितंबर को शाम 06:30 बजे, दूसरा बर्फीली तूफान 27 सितंबर को सुबह करीब 9 बजे और आज फिर सुबह करीब 06:42 बजे बर्फीली तूफान की घटना देखी गई हैं। हालांकि, इस एविलंच से कोई नुकसान नहीं हुई है साथ ही केदारनाथ मंदिर पर भी कोई फर्क नहीं पड़ा है।
वही, इस पूरे मामले पर वाडिया के रिटायर्ड हिम वैज्ञानिक डीपी डोभाल ने कहा कि हिम क्षेत्र में इस तरह बर्फीली तूफान आना आम बात है। क्योंकि जहा भी बर्फबारी होती है या जो ग्लेशियर के क्षेत्र है वहा पर ऐसी प्रतिकिया होना आम बात है। हालाकि, जो आज एविलंच आया है वो केदारनाथ से करीब 5 किलोमीटर ऊपर है। दरअसल, जब निचले इलाकों में बारिश होती है उससे ऊपर का तापमान कभी कम हों जाता है जिससे वहा बर्फबारी शुरू का सिलसिला शुरू हो जाता है।
हालांकि, यह सिलसिला हर साल देखने को मिलता है। लेकिन जो केदारघाटी का क्षेत्र है वहा पर हमेशा ही बर्फबारी होती है। साथ ही डोभाल ने कहा कि केदारघाटी में तमाम ग्लेशियर हैंगिंग ग्लेशियर है। लिहाजा जब ताजा बर्फबारी होती है तो वो बर्फबारी स्लोप के माध्यम से नीचे आ जाती हैं। हालांकि, ये ताजा बर्फ है लिहाजा ये बर्फ ज्यादा नीचे नही आयेगी बल्कि, आस पास के क्षेत्र में फेल जाएगी। साथ ही कहा कि इस तरह के बर्फीली तूफान इस क्षेत्र में आते रहते है, लिहाजा कोई खतरे को बात नहीं है।
यही नहीं, केदारघाटी में पिछले 10 दिनों के भीतर तीन बार आए एवलांच के सवाल पर डीपी डोभाल ने बताया कि केदारनाथ धाम में जो पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा है, उसके वजह से भी केदारघाटी में एवलांच आने की संभावना बढ़ गई है। दरअसल, डीपी डोभाल के अनुसार केदारनाथ धाम में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों के दौरान ब्लैक कार्बन समेत तमाम डस्ट ऊपर की ओर उड़ रहे हैं जो ग्लेशियर पर जाकर जमा हो जाते हैं। जिसके चलते जब बर्फबारी होती है तो ग्लेशियर के ऊपर जमा ब्लैक कार्बन के ऊपर ताजी बर्फ जमा होती है। जिससे ताजी बर्फ के फिसलने की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है। ऐसे में केदार घाटी में जो एवलांच। आया है यह भी एक बड़ी वजह हो सकती है।