उत्तराखंड शासन ने भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ जेएन नौटियाल को मिल रही सभी सुविधाओं पर रोक लगा दी है। दरअसल, भारतीय चिकित्सा परिषद में अध्यक्ष की नियुक्ति संयुक्त प्रांत (आयुर्वेदिक तथा यूनानी तिब्बी, चिकित्सा पद्धति) अधिनियम 1939 के तहत की जाती है। हालांकि, इसी अधिनियम के जरिए डॉ जनानंद नौटियाल की अध्यक्ष पद पर नियुक्ति हुई है लेकिन नियुक्ति पत्र में किसी भी तरह की सुविधाएं दिए जाने का जिक्र नहीं है। बावजूद इसके नौटियाल, तमाम सुविधाओ का लाभ उठा रहे थे।
मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ जेएन नौटियाल बिना अनुमति के ही तमाम सुविधाओ का लाभ उठा रहे है। जिसके तहत, अध्यक्ष नियुक्ति होने के बाद से ही नौटियाल हर महीने 52 हजार रूपया भारतीय चिकित्सा परिषद,उत्तराखंड के कोष से ले रहे थे। जिसमे 35 हजार रुपए मानदेय, 15 हजार रुपए अन्य भत्ता और दो हजार रुपए फोन भत्ता शामिल है। इसके अलावा, नौटियाल अवैध रूप से निजी सचिव, वाहन चालक और चतुर्थ श्रेणी स्तर पर कर्मचारी नियुक्ति किए गए थे जिसपर हर महीने 42 हजार रुपए का अतरिक्त भार परिषद पर पड़ रहा था। इसके अलावा, हर महीने हजारों रुपए वाहन के तेल पर भी खर्च कर रहे थे।
वित्तीय अनियमितता के मामले को लेकर आयुष विभाग के अपर सचिव डॉक्टर विजय कुमार जोगदंडे ने 27 जुलाई 2023 को भारतीय चिकित्सा परिषद के रजिस्ट्रार को आदेश जारी किया था। जारी आदेश में इस बात का जिक्र किया गया है कि भारतीय चिकित्सा परिषद उत्तराखंड के अध्यक्ष जनानंद नौटियाल को जो सुविधाएं दी जा रही हैं वह राज्य सरकार की अनुमति के बिना दी जा रही है। जो न सिर्फ परिषद के एक्ट की व्यवस्था का उल्लंघन है बल्कि यह वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में भी आता है। जिसके चलते भारतीय चिकित्सा परिषद की ओर से अध्यक्ष नौटियाल को बिना शासन की स्वीकृति के दी जा रही सुविधाओं को तत्काल प्रभाव से रोका जाता है।