राज्य में आज भी दवाओं की कमी बरकरार है जिसको लेकर सरकार की मंशा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। आलम यह है कि अस्पतालों में दवाई नहीं है और सरकार फ्री दवा दिए जाने का दावा कर रही है। जिसको लेकर अब विपक्षी दल कांग्रेस, राज्य सरकार की तमाम योजनाओं पर सवाल खड़े करती नजर आ रही है।
राज्य सरकार यूं तो सरकारी अस्पतालों में फ्री दवा देने का योजना चला रही है। लेकिन, अस्पताल में आज भी दवाओं के बिना ही लोगो को परेशान होना पड़ रहा हैं जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार की योजना कितनी कारगर साबित हो रही है मुफ्त दवाएं, मुफ्त जांच, मुफ्त इलाज का दावा करने वाली सरकार के दावे दवाओं के नाम पर खोखले साबित हो रहे हैं। विभाग बजट का रोना रो रहा है। तो वही, लापरवाह सिस्टम दवाओं की आपूर्ति में ही नाकाम साबित हो रहा है।
वही, सूबे के प्रभारी सचिव स्वास्थ्य ने मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जो दवाएं अस्पतालों में मुफ्त दी जाती हैं उनकी खरीदारी को लेकर कवायद तेज कर दी गई है। उन्होंने कहा कि भविष्य में दवाओं की खरीद को लेकर टेंडर की प्रक्रिया एनएचएम के द्वारा स्वयं ही पूरी की जाएगी। जिससे समय रहते राज्य में दवाओं की आपूर्ति को किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि वर्तमान में एनएचएम फंडिंग करता है और स्वास्थ्य विभाग खरीद प्रक्रिया को पूरा करने का काम करता है।
जिस पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि सरकार जो कहती है उसका उल्टा करती हैं। लिहाजा, भाजपा सरकार के कथनी और करनी में बड़ा फर्क है। जिसका खामियाजा अब जनता भुगत रही हैं। तो वही, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल ने कहा कि सरकार दवाओं की खरीद को लेकर गंभीर है जल्द ही मामले का संज्ञान लेते हुए दवाओं की आपूर्ति की जाएगी।
कुल मिलाकर सरकार भले ही दवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रही हो लेकिन अस्पतालों में दवाओं का टोटा बताता है, कि सरकार सरकारी अस्पतालों के प्रति कितनी गंभीरता के साथ काम कर रही है। जब दवाओं की आपूर्ति में ही विभाग नाकाम साबित हो रहा है तो अन्य व्यवस्थाएं के हालत क्या होंगे इसे आसानी से समझा जा सकता है।