उत्तराखंड को शीघ्र ही 245 नये डॉक्टर मिलेंगे। इन डॉक्टरों को दुर्गम एवं पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित चिकित्सा इकाईयों में नियुक्ति दी जायेगी, जिसके निर्देश विभागीय उच्चाधिकारियों को दे दिये गये हैं। राज्य में संचालित चारधाम यात्रा में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और सुदृढ़ बनाने के दृष्टिगत आगामी तीन माह के लिये 25-25 डॉक्टरों को यात्रा मार्ग पर स्थित चिकित्सा इकाइयों में तैनात किया जायेगा, ताकि यात्राकाल में तीर्थ यात्रियों को स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो सके। पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टारों की नियुक्ति होने से लोगों को स्थानीय स्तर पर बेहत्तर इलाज मिल सकेगा।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत ने बताया कि शीघ्र ही राज्य को 245 एमबीबीएस डॉक्टर मिलेंगे। इन सभी डॉक्टरों को बॉण्ड व्यवस्था के अंतर्गत सूबे के दुर्गम एवं पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित चिकित्सा इकाईयों में नियुक्ति देने के निर्देश विभागीय उच्चाधिकारियों को दे दिये गये हैं। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य महानिदेशक द्वारा चिकित्सकों के नियुक्ति संबंधी प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है, जिसकी स्वीकृति मिलते ही सभी पास आउट चिकित्सकों को तैनाती दे दी जाएगी।
डॉ० रावत ने बताया कि राज्य में संचालित चारधाम यात्रा एवं कैलाश मानसरोवर यात्रा को देखते हुये यात्रा काल के लिये 25-25 डॉक्टरों को यात्रा मार्ग पर स्थित जनपदों चमोली, रूद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, चम्पावत एवं पिथौरागढ़ में तैनात किया जायेगा। ताकि तीर्थ यात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं सुलभ हो सके। उन्होंने बताया कि बॉण्ड व्यवस्था के अंतर्गत जनपद चमोली में 39, उत्तरकाशी में 25, रूद्रप्रयाग में 25, पौड़ी गढ़वाल में 12, टिहरी गढ़वाल में 18, नैनीताल में 6, बागेश्वर में 29, चम्पावत में 25, पिथौरागढ़ में, 25, अल्मोड़ा में 41 चिकित्सकों को नियुक्ति दी जायेगी।
विभागीय मंत्री ने बताया कि स्थानांतरण सत्र 2022-23 में दुर्गम एवं पर्वतीय क्षेत्रों में तैनात पीएमएचएस संवर्ग के चिकित्साधिकारियों का स्थानांतरण सुगम क्षेत्रों में किया जाना प्रस्तावित है ऐसे में उनके रिक्त हुये पदों के सापेक्ष अधिसंख्य बॉण्डधारी चिकित्सकों का समायोजन किया जायेगा। डॉ० रावत ने बताया कि वर्तमान में राज्य के तीन मेडिकल कालेजों से कुल 245 एमबीबीएस चिकित्सक पासआउट हुए हैं इन सभी को पूर्व में किये गये अनुबंध के तहत तैनाती देने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए सूबे में बॉण्ड व्यवस्था लागू की है, इसके तहत डॉक्टरों को एमबीबीएस करने के बाद पहाड़ के अस्पतालों में पांच सालों तक सेवाएं देनी अनिवार्य है।