उत्तराखंड में गहराए बिजली संकट से आमजन बेहाल है। रोजाना घंटों की बिजली कटौती भीषण गर्मी में दुश्वारियां बढ़ा रही है। ऊर्जा निगम के लिए भी विद्युत आपूर्ति करना चुनौती बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने जरूरत पूरी करने को ऊंचे दामों पर भी बिजली खरीद करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, राष्ट्रीय एक्सचेंज से ऊंचे दामों पर भी पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। अब बिजली संकट से निपटने के लिए ऊर्जा निगम ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है। जिस पर असम से करीब डेढ़ मिलियन यूनिट बिजली मिलने की उम्मीद जगी है।
रोजाना चार से पांच मिलियन यूनिट बिजली की कमी ऊर्जा निगम झेल रहा है। ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक अनिल कुमार ने बताया कि बिजली की कमी सभी राज्यों में है। जिसका प्रमुख कारण यूक्रेन-रशिया युद्ध के कारण गैस की आपूर्ति घटना और कोयले के दाम में इजाफा होना है। गैस व कोयला आधारित पावर प्लांट से पर्याप्त विद्युत उत्पादन नहीं हो पा रहा है। वहीं, उत्तर भारत में भीषण गर्मी पड़ने के कारण मांग में अप्रत्याशितं वृद्धि हुई है।
साथ ही बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार से उत्तराखंड के सामरिक महत्व और भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रतिदिन चार मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध कराने की पैरवी की। जिस पर केंद्र के अधिकारियों ने असम से करीब डेढ़ मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया। हालांकि, अभी असम से किस दाम पर बिजली मिल सकेगी, यह स्पष्ट नहीं है। असम से बिजली मिलने के बाद उत्तराखंड को फौरी राहत मिलेगी और बिजली कटौती में कमी आएगी।
प्रदेश की जल विद्युत परियोजनाओं और केंद्र से आवंटित अंश को मिलाकर भी मांग के अनुरूप विद्युत उपलब्धता नहीं है। ऐसे में रोजाना ऊर्जा निगम 13 से 15 करोड़ रुपये की बिजली खरीद राष्ट्रीय एक्सचेंज से करनी पड़ रही । हालांकि, मांग को तब भी पूरा नहीं किया जा पा रहा है। खरीद के बाद भी करीब चार से पांच मिलियन यूनिट बिजली कम पड़ रही है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों और उद्योगों में चार से सात घंटे और शहरी क्षेत्रों में एक से दो घंटे की कटौती की जा रही है।
प्रदेश में प्रतिदिन 44 से 45 मिलियन यूनिट बिजली की खपत हो रही है। जबकि, उपलब्धता 39 से 40 मिलियन यूनिट है। ऐसे में ऊर्जा निगम बिजली कटौती का सहारा ले रहा है। ग्रामीण और औद्योगिक क्षेत्रों में ज्यादा कटौती की जा रही है। हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर के ग्रामीण क्षेत्रों और औद्योगिक क्षेत्रों में रोजाना पांच से आठ घंटे कटौती की जा रही है। पंतनगर और ज्वालापुर स्थित औद्योगिक क्षेत्र छह-छह घंटे की कटौती झेल रहे हैं।