उत्तराखंड सरकार के लिए जून की डेडलाइन बड़ी चिंता बनी हुई है। दरअसल, जीएसटी व्यवस्था के लागू होने के बाद उत्तराखंड राजस्व कलेक्शन में काफी ज्यादा पिछड़ा है। जिसके एवज में केंद्र सरकार की तरफ से राज्य को हजारों करोड़ की प्रतिपूर्ति मिल रही है लेकिन अब जून के बाद केंद्र राज्यों को प्रतिपूर्ति देना बंद कर देगा और यही चिंता राज्य के लिए मुसीबत बनी हुई है। देशभर में एक समान कर प्रणाली लागू करने के लिए भारत सरकार की तरफ से देश में जीएसटी को इंट्रोड्यूज किया था। हालांकि, उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों के लिए जीएसटी व्यवस्था काफी नुकसानदायक रही है।
जीएसटी को लेकर देश की विभिन्न राज्य सरकारों ने अपना विरोध भी दर्ज कराया। लेकिन उत्तराखंड में जीएसटी साल 2017 जुलाई से लागू कर दी गई। नई कर व्यवस्था में उत्तराखंड को हर साल हजारों करोड़ का नुकसान हर साल हो रहा है, जिसके एवज में करीब 4500 करोड़ केंद्र सरकार की तरफ से राज्य को हो रहे नुकसान की प्रतिपूर्ति के रूप में दिये जा रहे हैं। अब चिंता इस बात की है कि जून के बाद से केंद्र सरकार इस प्रतिपूर्ति को देना बंद कर देगी और राज्य को हर साल हजारों करोड़ के नुकसान से गुजरना होगा। सचिव वित्त सौजन्या के मुताबिक राज्य सरकार नए प्रयासों से अधिक से अधिक राजस्व हासिल करने का प्रयास कर रही है।
आंकड़ों के लिहाज से देखें तो राज्य हर साल करीब 19 फीसदी की टैक्स में बढ़ोत्तरी कर रहा था। साल 2000 से 2017 तक प्रदेश में टैक्स में करीब 31 गुना की बढ़ोत्तरी की गई थी। यानी 250 करोड़ से शुरुआत करते हुए उत्तराखंड टैक्स वसूली में ₹7200 करोड़ तक पहुंच चुका था। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद राज्य कर वसूली में पिछड़ता गया है।