उत्तराखंड राज्य में पहले से ही स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। तो वहीं, दूसरी ओर जो डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं अब वही डॉक्टर्स लापरवाही बरतने लगे तो फिर बची कुची स्वास्थ्य सुविधाएं भी पूरी तरह से चौपट हो जाएंगी। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक डॉक्टर यह कहता हुआ नजर आ रहा है कि “मैंने ड्रिंक कर रखी है भाई झूठ नहीं बोलूंगा”। हालांकि, इस वीडियो के वायरल होने के बाद स्वास्थ्य सचिव डॉ राजेश कुमार ने संविदा डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया है।
आपको बता दें कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो रायपुर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एक संविदा चिकित्सा अधिकारी डॉ दिनेश चंद्र सेमवाल का बताया जा रहा है। हालांकि, वायरल वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि डॉ दिनेश कितने नशे की स्थिति में है यहां तक कि उनसे जवाब तक नहीं दिया जा रहा है। जिस मामले को स्वास्थ्य सचिव ने संज्ञान में लेते हुए बर्खास्तगी करने के आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि, यह कोई पहला मामला नहीं है इससे पहले भी उत्तराखंड में ऐसे कई मामले देखे गए जिसमें डॉक्टर शराब के नशे में धुत मरीजों का इलाज करते नजर आए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत सीएचसी रायपुर में डॉ. दिनेश चंद्र सेमवाल को संविदा पर चिकित्साधिकारी के पद पर तैनात किया गया था। 30 अक्तूबर को उन पर सीएचसी में ड्यूटी के दौरान नशे की हालत में होने के आरोप लगे थे। इसकी एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।मामले में बताया गया था कि सीएचसी में रात को ड्यूटी पर तैनात दूसरे डॉक्टर ने एक मरीज को इमरजेंसी में भर्ती किया था। अगले दिन रविवार को सुबह डॉ. दिनेश चंद्र सेमवाल ड्यूटी पर थे।
मरीज के परिजन डॉक्टर सेमवाल के पास गए और उन्होंने अपने मरीज के बारे में जानकारी चाही। लेकिन इस दौरान डॉक्टर और परिजनों में बहस होने लगी। परिजनों का कहना था कि डॉक्टर ने शराब पी रखी थी, उन्होंने मोबाइल से इसकी वीडियो भी बना ली। वायरल वीडियो में डॉ. सेमवाल यह कहते हुए सुनाई दे रहे हैं कि रात को ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर मरीज को गलत भर्ती किया। यह बड़ा अस्पताल नहीं है। मरीज को किसी बड़े अस्पताल में रेफर किया जाना चाहिए था। इसके साथ ही वह रात को तैनात डॉक्टर के बारे में अभद्र भाषा का भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस संबंध में सीएचसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रताप सिंह पंवार ने मुख्य चिकित्साधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को भी रिपोर्ट भेजी थी। हालांकि, स्वास्थ्य सचिव की ओर से जारी किए गए बर्खास्तगी की आदेश में इस बात का जिक्र किया गया है कि नशे की हालत में में डयूटी करना चिकित्सकीय लापरवाही को दर्शाता है। जो कि खेद का विषय है। एक चिकित्सक के द्वारा अपनी ड्यूटी के समय नशे की हालत में मरीजों को देखना अपने कर्तव्यों का उल्लंघन है साथ ही मरीजों को जान-माल का खतरा भी उत्पन्न हो सकता है। लिहाजा यह चिकित्सकीय लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के लिये भी अत्यन्त चिन्तनीय विषय है। इस कार्यप्रणाली से स्वास्थ्य विभाग की छवि धूमिल हो रही है एवं आम जनमानस पर स्वास्थ्य विभाग की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ना भी स्वाभाविक है।